आपको शायद कुछ तथ्य पता होगे पर पूरी तरह से नही, आप इसे पड़ कर अंत मे अपनी टिप्पणी जरूर दे ॥
सब जानते है आर्य बाहर से आए है , अब अगली बात अनार्य या द्रविडियन भी कई लाखो साल पहले अफ्रीका से आकार भारत मे बसे थे।
इनके बाद आर्य आए, आर्य समाज की 1 विशिष्ट संस्कृति, प्रथा, पददती थी, जिसमे खेती करना, पुजा पाठ इत्यादि बाते थी, पर अनार्य बर्बर और असंस्कारी थे जो जंगलो मे रहना, शिकार करना, कन्द मूल खा कर जिंदा रहना, मार काट ऐसी क्रियाए अनार्यो की थी, उस काल मे जब आर्य इस भूमि पर आकार बसने लगे तो यही बर्बर अनार्यो ने हमले करना, भेड़ बकरिया चुराना, आर्यों की महिलाओ को भागा ले जाना, धन लूट लेना, खेत नष्ट करना, जैसे कम करने लगे, बर्बरतापूर्ण कामो के वजह से आर्य ने संघटित हो कर इन सभी अनार्यो के साथ लड़ाइया करके उनपर जीत हासिल की और उनपर नियंत्रण रहे और बर्बरता से बाहर निकाल कर संस्कृति तौर पर समाज मे घुले मिले इसलिए उन्हे चतुर्थ वर्ण बनाकर चौथे यानि शूद्र वर्ण मे रखा ...
कुछ काल के बाद अनार्य जब समाज मे समरस हुये तो इस वर्ण व्यवस्था को बादल कर कर्म अनुसार बनाया गया...
पर कुछ काल के बाद सम्राट अशोक के हिन्दू धर्म छोड़कर बोद्ध स्वीकारने के बाद उनही अनार्यो (नाग वंशी और द्रविड़ वंशी ) ने पूरे हिन्दू समाज से बगावत कर के बोद्ध धर्मा के साथ जाने का निर्णय लिया और अशोका के मरने के बाद हिन्दुओ ने पुनः वर्चस्व हासिल कर लिया, यह चतुर्थ वर्ण व्यवस्था आनुवांशिक तौर पर कायम रखी और यही पददती आज़ाद होने तक चलती रही...
और आज़ादी के बाद इन्ही चतुर्थ वर्ण को हमारे राजनीतिज्ञो ने आरक्षण दे दिया, और इसी आरक्षण के कारण सारे ढोरे , गवार आज महत्त्वपूर्ण पदो पर बैठ कर मजे से देश को लूट रहे है, आपने कई शूद्रो को देखा होगा, जीतने वो भ्रष्ट होते है उतना कोई नही ।
क्या हम आर्य आज भी इनकी बर्बरता झेल रहे है ?
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